- देश की आर्थिक वृद्धि के लिए अहम होता है ईज ऑफ डूइंग बिजनेस।
- भारत की स्थिति सुधारने के लिए DPIIT कर रहा छह मानकों पर काम।
- कोलकाता और बंगलूरू में सुधार गतिविधियों पर ध्यान दे रहा है डीपीआईआईटी।
विस्तार
किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यानी कारोबार सुगमता बेहद महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत की स्थिति सुधारने के लिए रूपरेखा तैयार की है।
इन शहरों में सुधार गतिविधियों पर ध्यान दे रहा है DPIIT
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) कोलकाता और बंगलूरू में सुधार गतिविधियों पर ध्यान दे रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि विश्व बैंक ने इस साल से दिल्ली और मुंबई के अलावा कोलकाता और मुंबई के आधार पर कारोबार सुगमता रिपोर्ट तैयार करने का फैसला किया है। कोलकाता और बंगलूरू को इसमें शामिल करने से भारत में कारोबारी माहौल की एक सार्वभौमिक तस्वीर उपलब्ध हो सकेगी। इतना ही नहीं, विश्व बैंक ने कारोबार सुगमता रैंकिंग के लिए मानकों की संख्या बढ़ाकर 11 भी कर दी है। इसमें सरकारी अनुबंध के नए मानक को शामिल किया गया है।
इन मानकों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है डीपीआईआईटी
इस संदर्भ में एक अधिकारी ने बताया कि डीपीआईआईटी छह मानकों पर ध्यान दे रहा है। इसमें अनुबंध के प्रवर्तन और कारोबार को शुरू करने जैसे मानक शामिल हैं। सरकार मई-जून 2020 में विश्व बैंक से सुधार गतिविधियों का ब्योरा साझा करेगी। डीपीआईआईटी जिन छह मानकों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, उनमें ये शामिल हैं-
- अनुबंध का प्रवर्तन ( इसमें भारत 163वें स्थान पर है )
- दिवाला निपटान ( इसमें भारत 52वें स्थान पर है )
- कारोबार शुरू करना ( इसमें भारत 136वें स्थान पर है )
- संपत्ति का पंजीकरण ( इसमें भारत 154वें स्थान पर है )
- कर का भुगतान ( इसमें भारत 115वें स्थान पर है )
- सीमापार व्यापार ( इसमें भारत 68वें स्थान पर है )
63वें स्थान पर भारत
बता दें कि विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग 2020 में भारत ने कारोबार सुगमता के मामले में 14 पायदान की छलांग लगाई थी। इस सूची में भारत का 63वें स्थान है। वहीं सऊदी अरब 62वें और यूक्रेन 64वें पायदान पर है। इस सूची में किसी भी देश को चार प्रमुख क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए रैंक दी जाती है।
साल 2018 में 77वें स्थान पर था भारत
वर्ष 2018 में भारत इस सूची में 77वें स्थान पर था, जबकि साल 2017 में 100वें स्थान पर था। इस दौरान अर्थव्यवस्था में सुस्ती को लेकर केंद्र सरकार की चौतरफा आलोचना भी हुई थी। हालांकि इसके बावजूद भारत ने टॉप 20 देशों की सूची में अपनी जगह पक्की कर ली थी।